अवसाद क्या है? कैसे पाएं इससे छुटकारा (Depression in hindi)
अवसाद क्या है? (What is depression? in hindi)
अवसाद से तात्पर्य ऐसे मानसिक रोग से है, जिसमें व्यक्ति को अकेलापन, उदास इत्यादि महसूस होता है।
इसे मुख्य रूप से मनोदशा विकार (mood disorder) से जोड़कर देखा जाता है, जिसका असर व्यक्ति की सोच, यादाशत, व्यवहार इत्यादि पर पड़ता है।
अवसाद के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of depression in hindi)
हालांकि, किसी भी व्यक्ति के लिए अवसाद के लक्षण को पहचाना आसान नहीं होता है क्योंकि इसकी शुरूआत सामान्य तरीके से ही होती है, जो कुछ समय के बाद गंभीर रूप ले लेती है।
इसके बावजूद, इस पर किए अध्ययनों से स्पष्ट है कि अवसाद के संभावित लक्षण ये 5 हो सकते हैं-
- गुस्सा होना या घबराहट महसूस होना- अवसाद का प्रमुख लक्षण गुस्सा होना या घबराहट महसूस होना है।
आमतौर पर, हम सभी को कभी-न-कभी गुस्सा आता है, जो स्वाभाविक चीज़ है, लेकिन जब किसी व्यक्ति को एक पल गुस्सा और दूसरे ही पल घबराहट महसूस हो, तो यह डिप्रेशन का संकेत होता है। - उदास रहना- यदि कोई व्यक्ति काफी उदास महसूस करता है, तो उसे इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए बल्कि इसकी सूचना मनोवैज्ञानिक को देनी चाहिए।
चूंकि, हर समय उदासी महसूस होना डिप्रेशन का संकेत होता है, इसलिए इसके इलाज की सख्त जरूरत पड़ती है। - किसी काम में दिल न लगना- अवसाद का अन्य लक्षण किसी काम में दिल न लगना है।
ऐसी स्थिति में लोग किसी भी काम करते समय उब जाते हैं, जिसकी वजह से उनके काम को वैसा परिणाम नहीं निकलता है, जैसा निकलना चाहिए। - ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना- यदि किसी शख्स को किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है, तो उसे तुरंत मेडिकल सहायता लेनी चाहिए क्योंकि यह अवसाद जैसे मानसिक रोग का संकेत हो सकता है।
- कमज़ोरी महसूस होना- किसी भी मानसिक रोग की शुरूआत शारीरिक क्षमता से होती है, जिसका मतलब है कि उसके लक्षण सबसे पहले मानव-शरीर पर नज़र आते हैं।
यह बात अवसाद या डिप्रेशन पर भी लागू होती है क्योंकि इसमें लोगों को काफी कमज़ोरी महसूस होती है।
अवसाद के कारण क्या हैं? (Depression causes in hindi)
अवसाद की समस्या किसी भी उम्र के शख्स को हो सकती है, जिसके अलग-अलग कारण हो सकते हैं।
इसके बावजूद, आमतौर पर अवसाद निम्नलिखित कारणों का नतीजा हो सकता है-
- शोषण होना- अवसाद का प्रमुख कारण शोषण होना है।
इस प्रकार,इस समस्या के होने की संभावना मुख्य रूप से ऐसे लोगों में अधिक रहती है, जिनके साथ शारीरिक शोषण होता है। - किसी तरह की दवाई का सेवन करना- अक्सर, डिप्रेशन दवाई के साइड-इफेक्ट्स का भी परिणाम होता है।
अत: यदि किसी व्यक्ति का किसी तरह का इलाज चल रहा है, तो उसे दवाई का सेवन सीमित रूप में ही करना चाहिए ताकि उसे किसी तरह के साइड-इफेक्ट्स का सामना न करना। - झगड़ा होना- आपने ऐसा सुना होगा कि घर के माहौल का असर बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों पर काफी गहरा पड़ता है।
यदि किसी परिवार में काफी झगड़े होते हैं, तो उसके सदस्यों की मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है और वे अवसाद के शिकार बन सकते हैं। - किसी प्रियजन की मौत होना- हममें से किसी भी शख्स के लिए अपने प्रियजनों को खोना काफी दुखदायी होती है।
इसका असर हमारी ज़िदगी के साथ-साथ मानसिक सेहत पर भी पड़ता है, जिसका परिणाम काफी सारी मानसिक बीमारियों के रूप में सामने आता है।
ऐसे ही बीमारियों में अवसाद या डिप्रेशन भी शामिल है, जिससे निकलने के लिए मनोवैज्ञानिक का सहारा लेना पड़ता है। - जेनेटिक कारण का होना- अवसाद होने का अन्य कारण जेनेटिक भी होता है।
इस प्रकार, यदि किसी शख्स के परिवार में अन्य सदस्य डिप्रेशन से पीड़ित है, तो उसे भी यह बीमारी हो सकती है।
अवसाद की पहचान कैसे की जा सकती है? (How to diagnose depression? in hindi)
ऐसा माना जाता है कि यदि किसी बीमारी की पहचान समय रहते कर ली जाए, तो उसका इलाज बेहतर तरीके से किया जा सकता है, जिससे उससे ठीक होने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है।
यह बात अवसाद या डिप्रेशन पर भी लागू होती है, जिसके सुखद परिणाम देखने को मिलते हैं।
इस प्रकार, यदि किसी व्यक्ति को अवसाद से पीड़ित होने की शंका है, तो उसे इसे इन 5 तरीके से दूर करना चाहिए-
- मनोवैज्ञानिक से बात करना- अवसाद की पहचान करने का सबसे आसान तरीका मनोवैज्ञानिक से बात करना है।
इसमें डॉक्टर व्यक्ति से उसके इतिहास, पारिवारिक माहौल, स्वास्थ संबंधी इत्यादि सवाल पूछते हैं, ताकि उन्हें यह पता चल सके कि उस व्यक्ति को किसी तरह की समस्या तो नहीं है। - ब्लड टेस्ट करना- चूंकि, डिप्रेशन अन्य बीमारियों का भी नतीजा होता है, इसलिए इसकी पुष्टि करने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट जैसे क्लिनिकल टेस्टों का भी सहारा लेते हैं।
ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि यह पता चल सके कि वह व्यक्ति किसी तरह की बीमारी से पीड़ित तो नहीं है। - मेडिकल हिस्ट्री की जांच करना- अक्सर, डॉक्टर डिप्रेशन या अवसाद का पता लगाने के लिए मेडिकल हिस्ट्री की भी जांच करते हैं।
- लाइफ स्टाइल संबंधी बात करना- कई बार, अवसाद का पता लगाने के लिए लोगों की लाइफ स्टाइल की जानकारी भी इकट्ठा की जाती है।
- स्वभाव में होने वाले बदलावों पर बात करना- चूंकि, अवसाद का लक्षण लोगों के स्वभाव में देखने को मिलता है, इसलिए मनोवैज्ञानिक इसकी पुष्टि करने के लिए स्वभाव में होने वाले बदवालों को लेकर लोगों से बात करते हैं।
अवसाद का इलाज कैसे किया जा सकता है? (how to treat depression? in hindi)
जैसे ही किसी शख्स के डिप्रेशन से पीड़ित होने की पुष्टि हो जाती है, वैसे ही उसका इलाज शुरू करना जरूरी होता है।
ऐसा करने से उसे संभावित खतरों से बचाया जा सकता है।
अत: अवसाद का इलाज निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है-
- दवाई लेना- डिप्रेशन का इलाज करने का सबसे आसान तरीका दवाई लेना है।
ये दवाई दिमाग की मांसपेशियों को शांत करके इससे पीड़ित लोगों को ठीक होने में सहायता करती हैं। - साइकोथेरेपी कराना- अवसाद का इलाज साइकोथेरेपी के द्वारा भी संभव है।
इस थेरेपी में लोगों के स्वभाविक, सामाजिक वातावरण इत्यादि को मॉनिटर किया जाता है और इसके आधार उसका इलाज करने की कोशिश की जाती है। - लाइट थेरेपी कराना- अक्सर, अवसाद का इलाज लाइट थेरेपी के द्वारा भी किया जाता है।
इसमें अवसाद से पीड़ित लोगों को लाइट डाइवायस के पास बैठाकर उसके मस्तिष्क पर लाइट मारी जाती है, ताकि उसके मस्तिष्क के अंदरूनी स्थिति की जांच की जा सके। - एक्सराइज़ करना– डिप्रेशन का इलाज एक्सराइज़ के द्वारा भी किया जा सकता है।
इसमें दिमाग संबंधी एक्सराइज़ शामिल होती हैं, जिससे मस्तिष्क की क्षमता बढ़ती है। - नशीले पदार्थों का परहेज़ करना- कई बार,डॉक्टर इस मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों को नशीले पदार्थों का परहेज़ करनी की सलाह देते हैं।
इस प्रकार, इस तरह की चीज़ों से दूरी बनाना भी अवसाद को ठीक करने में सहायक साबित हो सकता है।
अवसाद के संभावित जोखिम क्या हैं? (Complications of depression in hindi)
हालांकि, अवसाद समेत सभी बीमारियों का इलाज संभव है, बशर्ते उसे समय रहते किया जाए।
इसके अलावा, यदि अवसाद का इलाज न किया जाए तो यह कुछ समय के बाद गंभीर रूप ले सकती है, जो संभावित जोखिमों का कारण बन सकता है।
इस प्रकार, डिप्रेशन से पीड़ित लोगों को इन 5 जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है-
- नशीले पदार्थों का आदी होना- यदि अवसाद का इलाज न किया जाए तो इससे पीड़ित व्यक्ति नशीले पदार्थों का आदी हो सकता है।
यह स्थिति उसके साथ-साथ उसके परिवार के सदस्यों पर भी पड़ता है और उनकी ज़िदगियाँ खराब हो जाती हैं। - रिश्तों में खटास का बढ़ना- अवसाद का लंबे समय तक लाइलाज रहने पर लोगों के रिश्ते खराब हो सकते हैं।
इसकी वजह से उनके रिश्तों में खटास बढ़ सकती है, जिनका घातक परिणाम निकल सकता है। - दिल का दौरा का खतरा बढ़ना- डिप्रेशन का असर मानव शरीर के अन्य अंगों पर भी पड़ता है।
इसकी वजह से उन्हें दिल का दौरा पड़ने का खतरा भी बढ़ सकता है। - नींद न आना- अक्सर, इस समस्या से पीड़ित लोग नींद न आने की शिकायत करते हैं।
इस प्रकार, अवसाद के साइड-इफेक्ट्स में नींद न आना भी शामिल है। - आत्महत्या करना- अवसाद का गंभीर जोखिम आत्महत्या करना है।
इस प्रकार, अवसाद किसी भी व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
अवसाद की रोकथाम कैसे करें? (How to prevent depression? in hindi)
हालांकि, अवसाद या डिप्रेशन के मरीज़ दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, जिन्हें काफी सारी परेशानियों से गुजरना पड़ता है।
इस समस्या का असर इस बीमारी से पीड़ित लोगों के साथ-साथ उनके परिवार वालों की ज़िदगियों पर भी पड़ता है।
इसके बावजूद, राहत की बात यह है कि थोड़ी सावधानी बरतकर डिप्रेशन की रोकथाम की जा सकती है।
अत: यदि कोई व्यक्ति निम्नलिखित बातों का पालन करे, तो वह डिप्रेशन की रोकथाम आसानी से कर सकता है-
- स्ट्रेस मेनेज करना- चूंकि, डिप्रेशन टेंशन का रूप होता है, इसलिए इसकी रोकथाम के लिए स्ट्रेस मेनेज करना लाभकारी उपाय साबित हो सकता है।
- भरपूर नींद लेना- यदि कोई व्यक्ति भरपूर नींद (6-8 घंटे) लेता है, तो उसे अवसाद होने की संभावना काफी कम होती है।
इस प्रकार, अवसाद से बचने का कारगर उपाय भरपूर नींद लेना होता है। - एक्सराइज़ करना- डिप्रेशन से बचने एक्सराइज़ करना बेहतर विकल्प साबित हो सकता है क्योंकि एक्सराइज़ का असर लोगों की शारीरिक सेहत के साथ-साथ मानसिक सेहत पर भी पड़ता है।
- हेल्थी फूड खाना- हम सभी लोगों को अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि यह हमें अवसाद जैसी गंभीर बीमारियों से बचने में सहायता करता है।
- नियमित रूप से हेल्थचेकअप कराना- यह सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है, जिसका पालन सभी लोगों को करना चाहिए।
यदि हम नियमित रूप से हेल्थचेकअप कराएं तो हम संभावित बीमारी के लक्षणों का पता समय रहते लगा सकते हैं और इसके साथ में हम अपना इलाज सही तरीके से करा सकते हैं। - मनोवैज्ञानिक से संपर्क करना- यदि किसी व्यक्ति को अपने स्वभाव में अचानक बदलाव नज़र आता है, तो उसे बिना देरी किए मनोवैज्ञानिक से मिलना चाहिए।
ऐसी स्थिति में हम सही तरीके से इलाज करवाकर बेहतर ज़िदगी जी सकते हैं।
हालांकि, यह काफी दुख की बात है कि हमारी नज़र में मानसिक रोग और इससे पीड़ित लोगों को लेकर नज़रिया ठीक नहीं है।
यह चीज़ अवसाद या डिप्रेशन को लेकर भी देखने को मिलती है, जब कोई व्यक्ति हमसे खुद के इससे पीड़ित होने की बात करता है, तो हम इस बात को नज़रअंदाज़ करते हुए यही सोचते हैं कि यह व्यक्ति डिप्रेशट कैसे हो सकता है।
हो सकता है कि कुछ लोग इस बात को स्वीकार न करें, लेकिन सच हमेशा कड़वा होता है और यही हमारे समाज या हमारा सच है।
इसके विपरीत, दुनिया भर में डिप्रेशन को लेकर काफी सारी मुहिम चलाई जा रही हैं, ताकि लोगों में इस बीमारी को लेकर अधिक-से-अधिक जानकारी दी जा सके।
इसी कड़ी में विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस (world mental health day) के रूप में मनाना भी शामिल है, जिसका उद्देश्य लोगों में मानसिक रोगों के प्रति जागरूकता को बढ़ाना है।
इस प्रकार, हमें उम्मीद है कि आपके लिए इस लेख को पढ़ना उपयोगी साबित हुआ होगा क्योंकि इसमें हमने अवसाद या डिप्रेशन से जुड़ी आवश्यक जानकारी दी है, जो आपके और आपके प्रियजनों को इससे निपटने में सहायता करेगी।
सबसे अधिक पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’S)
Q1. अवसाद का वास्तविक अर्थ क्या है?
Ans- जब किसी शख्स के स्वभाव में अचानक से बदलाव जैसे गुस्सा आना, घबराहट महसूस होना, अकेला रहना, किसी काम में मन न लगना इत्यादि नज़र आते हैं, तो उसे मेडिकल साइंस की भाषा में अवसाद या डिप्रेशन कहा जाता है।
Q2. अवसाद कितने समय तक रह सकता है?
Ans- अवसाद मुख्य रूप से 3-6 हफ्तों तक रह सकता है, जिसका इलाज संभव है।
Q3. क्या अधिक अवसाद होना विकलांगता होती है?
Ans- जी नहीं, अवसाद होना किसी तरह की विकलांगता नहीं होती है, बल्कि यह ऐसी समस्या है, जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है।
अत: अवसाद से पीड़ित लोगों को बिना किसी शर्म के मनोवैज्ञानिक से मिलकर इसका इलाज कराना चाहिए।
Q4. क्या अवसाद का पता लगाया जा सकता है?
Ans- जी हां, अवसाद का पता लगाया जा सकता है।
इसके लिए डिप्रेशन से पीड़ित लोगों के आस-पास के लोगों के साथ-साथ मेडिकल टेस्ट सहायक साबित हो सकते हैं।
Q5. अवसाद के प्रमुख संकेत क्या हैं?
Ans- अवसाद के प्रमुख संकेतों में मूड स्विंग होना, किसी व्यक्ति से मिलने का मन न करना, अकेला रहना इत्यादि शामिल हैं।
Q6. अवसाद होने की संभावना किन लोगों में अधिक रहती है?
Ans- हालांकि, लोग ऐसा मानते हैं कि अवसाद होने की संभावना उम्रदराज़ लोगों (60 या उससे अधिक उम्र वाले) में अधिक रहती है, लेकिन हाल के कुछ सालों में यह समस्या युवाओं में भी देखने को मिली है।
इस प्रकार, सभी उम्र के लोगों को अपनी मानसिक सेहत का ध्यान रखना चाहिए ताकि उन्हें डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारी होने की संभावना न रहे।
Q7. क्या डिप्रेशन का इलाज संभव है?
Ans- जी हां, डिप्रेशन का इलाज संभव है।
इसके लिए मनोवैज्ञानिक की सहायता लेना, योगा करना, दवाई लेना, थेरेपी लेना इत्यादि कारगर उपाय साबित हो सकते हैं।
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